Wednesday 20 June 2012

'ईश्वर '..

एक

तुम्हे जानने के बाद

शब्द फिसलते रहे

गढ़ते रहे आकृतियाँ

जैसे कोई मूरत गढ़ता है

और जो बन के सामने आया

उसका चेहरा

तुमसे बहुत मिलता है

'ईश्वर '...:))

ये तुम्हारा आशीष है

या मेरी प्रार्थनाओं का फ़ल

जो भी है बहुत खूबसूरत है

3 comments:

  1. अपनी प्रार्थनाओं में उसका चेहरा खूबसूरत ही नजर आता है..

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  2. प्रार्थना को मिल जाए आशीष तो सब होता है अद्भुत और सुन्दर:)

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  3. शुक्रिया मनीष...

    शुक्रिया अनुपमा ....:))

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