सूरज
चाँद
सितारे
फूल
खुशबु
नज़ारे
तुम हो तो
..
.
.
ये हैं...
ये रहेंगे
क्यों कि
तुम हो ...
'ज़िन्दगी '
मै तुम्हे तलाशती हूँ
हर चेहरे में
और
खुद को जोड़ लेती हूँ
कुछ पल
विद्रूपताएं रोकती हैं
मेरी तलाशियों के रास्ते
और मै बदल देती हूँ अपने रास्ते
कोई नहीं आ सकता
तुम्हारे और मेरे बीच
देखना
एक रोज
मै तुम्हे ढूंढ़ लूँगी
राज लक्ष्मी (रश्मि )जी की ये कविता आज के जीवन और उस के बदलते हुये अर्थ की तलाश में, सूरज ,ज़मीन और चाँद के दरमियाँ घूमती नज़र आती है . बहुत ही शानदार कविता आम आदमी को अपने होने का एहसास दिलाती हुयी .
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ख़ुर्शीद हयात
shukriya...navajish...:)
ReplyDeletewhat a talaash.. tum bahut pyara likhti ho ..
ReplyDeleteSuraj....Chaand...Sitare....foool.....kKhushboo....Nazare
ReplyDeleteTum hi toh ho......har samay saath Raj