कई दिन तेरे सपनो को
ख्यालों की हांड़ी में उबाला
वास्तविकताओं से छौंका
पक कर तैयार होता
तुमने खींच दी
एक फासले की खंदक
और भर दिया पानी से
ताकि ना पहुंचे
तेरे ख्वाबों तक
मेरे ख्याल भी
हाँ तू गुनाहगार है
मेरा
और उस रब का भी
जिसे मैं इश्क कहती हूँ
और उसने ही तुझे बख्शा है
उम्र भर का बंजारापन
भटकता रहेगा ...
पता नही कितने जन्मों तक
मैंने तेरे लिए ये सजा नहीं चाही
ये रब का फैसला है
और तेरे साथ साथ
भटकेगी मेरी भी रूह
सब कुछ होते हुए
बहुत सुंदर ख्याल और पंक्तिया है ..
ReplyDeleterashmi.. speechless..bus dil ko choo gayi ..best is mein bhi bhatakti rahungi, sab kuch hotey huey..how very true!
ReplyDeleteBeautiful wordings...full of emotion ...n sensation
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