चमन उम्मीदों का काँटों के बीच उग आता है
और एक गिरता हुआ मन सम्हल जाता है
ठोकरें खा कर ही आता है जीने का हुनर
मेरा अनुभव भी तो यही समझा जाता है
सच मानो रोज सीखती हूँ एक नया पाठ
कोई सोयी उम्मीदों को जगा जाता है
कल उगेगा फिर से उम्मीद का सूरज
एक ढलता हुआ दिन समझा जाता है
कल उगेगा फिर से उम्मीद का सूरज
ReplyDeleteएक ढलता हुआ दिन समझा जाता है
Beautiful!
sach hai naa..ummeed hope forever..lives on
ReplyDeleteकृपया वर्ड वेरिफिकेशन हटा लें ...टिप्पणीकर्ता को सरलता होगी ...
ReplyDeleteवर्ड वेरिफिकेशन हटाने के लिए
डैशबोर्ड > सेटिंग्स > कमेंट्स > वर्ड वेरिफिकेशन को नो NO करें ..सेव करें ..बस हो गया !