Monday 21 May 2012

उम्मीद का सूरज

चमन उम्मीदों का काँटों के बीच उग आता  है
और  एक गिरता हुआ मन सम्हल जाता है
ठोकरें खा कर ही आता है  जीने का हुनर
मेरा अनुभव भी तो  यही समझा जाता है
सच मानो रोज सीखती हूँ एक नया पाठ
कोई  सोयी   उम्मीदों को जगा जाता है
कल उगेगा फिर से उम्मीद का सूरज
एक ढलता हुआ दिन समझा जाता है

3 comments:

  1. कल उगेगा फिर से उम्मीद का सूरज
    एक ढलता हुआ दिन समझा जाता है
    Beautiful!

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  2. sach hai naa..ummeed hope forever..lives on

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  3. कृपया वर्ड वेरिफिकेशन हटा लें ...टिप्पणीकर्ता को सरलता होगी ...
    वर्ड वेरिफिकेशन हटाने के लिए
    डैशबोर्ड > सेटिंग्स > कमेंट्स > वर्ड वेरिफिकेशन को नो NO करें ..सेव करें ..बस हो गया !

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