Monday, 21 May 2012

सारे रंग तुमसे हैं ....

तुम्हारे अहसास से अछूती होती
 तो
सचमुच मै सफ़ेद होती
किसी ख़ाली केनवास की तरह
कई रंग मचलते हैं
जब तुम गुनगुनाते हो
मंद पड़ते हैं
जब एक
अनकहा अबोला खीच जाता है
कुछ तो कहो
प्रियतम
तुम्हारे इशारे पर
 सूरज का लाल रंग देह में उछलता है
तुम्हारे ख्यालों
के नीले पीले हरे से मेरा एकांत
महकता हैं

तुम्हारी
एक हलकी गुलाबी मुस्कुराहट
के लिए नैन रास्ता ताकते हैं
कभी अनमने रहो
तो
अन्तरमन से भूरे काले रंग झांकते हैं
उस विराट समंदर का
काही और गहरा नीला रंग
 याद दिलाते है उस गंभीरता की
जिसमे मै सिमट कर इस भीड़ में
खुद को महफूज़ समझती हूँ
सारे रंग
मुझे तुम्हारी ही याद दिलाते हैं
तुम्हे पता है ना..
मेरे सारे रंग तुमसे हैं
तुम न होते
सचमुच मै सफ़ेद होती
किसी ख़ाली केनवास की तरह

5 comments:

  1. बहुत खूबसूरत. ब्लॉग की दुनिया में आपका स्वागत है :)

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  2. नए ब्लॉग के लिए हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनाएं :-)

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  3. बहुत बहुत धन्यवाद्....:)

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  4. loved this when i read it first time too, aur aaj bhi..amrita preetam ki ek poetry ki yaad aa gayi

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  5. नए ब्लॉग के लिए हार्दिक बधाइयाँ !!!!

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