Friday, 25 May 2012

हाँ..
 कुछ तीता तो था
तेरा इश्क
जब याद आता है ना
तू और तेरा प्यार
मिर्च वाले समोसों  के ऊपर
चाय पी जाती है
और आँखों में आये पानियों को
लेस लगे रुमालों से साफ़ कर
एक मुस्कुराहट चिपकाई  जाती है
इन शब्दों के साथ
"आज मिर्च कुछ ज्यादा थी ना "
और  मन को  समझाई जातीं है
उसकी सीमायें ...

6 comments:

  1. कुछ तीता तो था ...
    इन शब्दों के साथ Rajluxmi ..laa-jawaab

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  2. zindagi aisi hi hai kabi meethi kabhi teekhi...sundar abhivyakti...

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  3. mirch masaley aur aansoo..koi jaan bhi nahin paata ..be blessed rashmi

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  4. वाह!!!वाह!!! क्या कहने, बेहद उम्दा

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