वक़्त के वो कतरे
जो यादों के जंगल में छूटे था
आज भी साये की तरह मंडराते है
मुझे तेरी याद दिलाते है ...
याद है वो नारंगी सी शाम
जब सूरज झील की सीढिया उतर रहा था
कुछ करुण सा भाव भर रहा था
वो आँखों में गीलापन औ' निशब्द से पल
आज बहुत कुछ जताते हैं
.... मुझे तेरी याद दिलाते है
आज भी सूरज मध्धम हो कर देख रहा
शायद उन्ही पलों को संजो रहा
तुम नहीं हो इस शाम यहाँ
आँखों में वही नमी बिछड़े हुये वही कुछ पल
मेरे घर का रास्ता दिखाते है
.........मुझे तेरी याद दिलाते हैं...
तेरा साथ मिलना समय को रास नहीं था
उसके फैसले से तू भी उदास नहीं था
जो थोड़े पल मैंने काट कूट के बचाए थे
वही पल अब मुझे जीना सिखाते है
.......मुझे तेरी याद दिलाते है
वो कुछ बातें ऐसी थीं जिन्हें ना हम समझ सके और ना समझा सके उन को ,
ReplyDeleteऔर वो हैं कि मजबूर किये जाते हैं कि " अरे ! हाल -ऐ -दिल बयां तो करो
yeh jeena seekhna kisi class mein kyun nahin padhaya jaata.. you are amazing rashmi
ReplyDeleteराज लक्ष्मी जी फुर्सत मिले तो आदत मुस्कुराने की पर ज़रूर आईये !
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