Saturday 26 May 2012




वक़्त के  वो कतरे
जो यादों के जंगल में छूटे  था
आज भी साये की तरह मंडराते  है
मुझे तेरी याद दिलाते  है ...

याद है वो नारंगी सी शाम
जब सूरज झील की सीढिया उतर रहा था
कुछ  करुण सा भाव भर रहा था
वो आँखों में गीलापन औ' निशब्द से  पल
आज  बहुत कुछ जताते हैं
                  ....  मुझे तेरी याद दिलाते है

आज भी सूरज मध्धम हो कर देख रहा
शायद उन्ही पलों को संजो रहा
तुम नहीं हो इस शाम यहाँ
आँखों में वही नमी बिछड़े हुये वही कुछ पल
 मेरे घर का रास्ता दिखाते है
      .........मुझे तेरी याद दिलाते हैं...

तेरा साथ मिलना समय को रास नहीं था
उसके फैसले से तू भी उदास नहीं था
जो थोड़े  पल मैंने काट कूट के बचाए थे
वही पल अब मुझे जीना सिखाते है
         .......मुझे तेरी याद दिलाते है

3 comments:

  1. वो कुछ बातें ऐसी थीं जिन्हें ना हम समझ सके और ना समझा सके उन को ,
    और वो हैं कि मजबूर किये जाते हैं कि " अरे ! हाल -ऐ -दिल बयां तो करो

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  2. yeh jeena seekhna kisi class mein kyun nahin padhaya jaata.. you are amazing rashmi

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  3. राज लक्ष्मी जी फुर्सत मिले तो आदत मुस्कुराने की पर ज़रूर आईये !

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