सुना हुआ सा कुछ ....
Thursday, 12 December 2013
उम्मीदों को
पिंजरे के पंछी न बनाओ
सूरज कि रौशनी दिखाओ
उन्हें चहकने दो
तुम मुस्कुराओ
हाँ!
नहीं पूरी होती हर ख्वाहिश
मुक्त करो गगन में उन्हें
तुम भी हलके हो जाओ
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