Saturday 22 June 2013





बिलकुल वैसा ही कमरा है 
बड़ी बड़ी खिडकियों वाला 
'लेस' के परदे भी लगे हैं 
मैं कुछ देर को 
मौत से नज़र बचाकर 
आँखें खोल ही लेती हूँ 
आसपास सब गहरी नींद में 
'मृत्यु' अक्सर रचती है ऐसे प्रपंच 
मृत्यु बोझ से अधमरी चेतना 
याद करती हैं 
वो सपना 
जो हमने देखा था 
ऐसे ही कांच की खिड़कियाँ 
ऐसे ही झूलते परदे 
'लिनन की चादर वाला 
'किंग बेड '
और बाहर ' पूनों 'का चाँद 
कुछ चीज़ें बदली हैं 
बस लिनेन की जगह 
एक सफ़ेद सूती चादर 
और किंग बेड की जगह 
रौट आयरन का सख्त सा बेड 
इंतज़ार वैसा ही 
जैसा सोचा था 
बस इस बार मिलने वाला कोई और है 
जिससे मिलने के बाद 
हम कभी नहीं मिल पाएंगे 
पर 
मेरी आत्मा में 
अंतिम निशानी इस दुनिया की 
तुम्हारी याद होगी 
सिर्फ तुम्हारी याद 
सब छोड़ कर जा रहीं हूँ 
बस इंतज़ार है साथ ...
अब हम मिलें 
तो मुझे आँखों से पहचानना 
मैंने सुना है 
सारी निशानियाँ 
मिट जाती हैं 
पर आँखें ....
हर जनम वही रहती हैं

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