हम दर्ज करेंगे,
अलग अलग
अपनी अपनी
डायरियों में
साथ गुजारे लम्हों का हिसाब
और सारी उम्र
अपने बच्चों से करेंगे चर्चा
एक कच्ची अमिया जैसे लगाव का
जब बिना मिले ही
एक दुसरे के लिए जिया था जीवन
बिना किसी इच्छा
आकांक्षाओं के
और फिर आधी सदी गुजार दी
एक दुसरे को देखे बिना ही
फिर एक दिन
जब मै और तुम मर जायेंगे
हजारों किलोमीटर के फासले पर
हमारे बच्चे
हमारी छोड़ी निशानियों से
ढूंढ लेंगे एक दुसरे को
हमारा प्यार हम रोप जायेंगे
उनके ह्रदय में
मेरी डायरी में दर्ज होगी
एक अंतिम इच्छा
तुम्हारे घर के सामने
तुम्हारे हाथों से लगाया
गुलमोहर का एक बीज
मेरे घर के सामने वाले
गुलमोहर के बाजु में लगाना
और .....
मेरे आँगन के पेड़ का बीज
तुम्हारे आँगन में
हम सारी 'मई 'एक साथ मुस्कुराएंगे
वो याद करेंगे
आश्चर्य प्रकट करेंगे
उन्हें तो पता भी न चला
'माँ उनके साथ साथ
किसी और से भी जुडी रही
इस हद तक
और सीखेंगे
किसी को प्यार करते
उसके लिए जीते
दायित्वों से मुंह नहीं मोड़ा जाता
ठंडी आहें भरना ही
प्यार के घनत्व को नहीं दर्शाता
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