Saturday, 22 April 2017

तुम्हारे फोन की ट्रिन ट्रिन से
सुपरसोनिक स्पीड से गिरने लगते हैं ग्राफिक्स
और मेरे कमरे की सुफेद छत में
उग आता है एक आकाश
मैं तुम्हारी बाँहों मे लेट कर
दिखाती हूँ सप्तऋषि
तुम समझाते हो चाँद का घटना बढ़ना
सिर्फ एक ट्रिन ट्रिन
और छत का पंखा
कहीं से ले आता है बसंती बयार
दूर से बजती बांसुरी और मांदर की आवाज़
मैं मन्त्रमुग्ध सी बैठ जाती हूँ
एक चट्टान पर
तुम खाली कैनवास मे उकेरते हो मेरा पोर्ट्रेट
किसी सुबह हम दोनो ढूंढने लगते हैं मेरी गुम इयरिंग
फोन पर बनता रहता है
एक काल्पनिक घर कमरे और बहुत सी ड्रॉर्स वाली अलमीरा के ग्राफिक
मैं विसुआलाइज़ करते हुए खंगालती हूँ हर मुमकिन जगह
और मेरी इयरिंग मिलती है तुम्हारे टी शर्ट पे रहस्मय तरीके से
हम रोज़ नया घर बनाते हैं
अपने बच्चों को खेलता देखते हैं
उनके नाम रखने के लिये बहस करते है
और सहमत हो जाते हैं एक नाम के लिये
फोन पर ही शुरू रहती है
दूध की बॉटल से nappy बदलने की कवायद
जब हम नही होते पास तो बदल देते हैं अपने काल्पनिक घर का interior
बेड रूम मे उगा होता है
प्राकृतिक रूप से एक विशालकाय पेड़
कभी बिस्तर लगा होता है दूब से भरे बगीचे मे
सफेद चादरों मे हम चुप चाप निहारते हैं आकाश गंगा
तुम कभी नही टोकते मुझे
मैं पूरी होने देती हूँ तुम्हारी हर ख्वाहिश
कितना सुंदर है हमारा साथ
मै काल्पनिक दहलीज मे बांधती हूँ नीबू मिर्च
फोन की ट्रिन ट्रिन
और तुम आ जाते हो noddy के प्लेन मे
हम पहुंच जाते है गर्मियों मे अपने कश्मीर वाले घर मे
ठंड मे हमारा एक अलग ही डेस्टिनेशन होता है
वर्षा वन मे बना ट्री house कभी कभी रेगिस्तान की उस बड़ी चट्टान मे भी जाते हैं
जहां तुम अक्सर जाते थे जब हम मिले नही थे
वो रात भूलती नही जब हमने एक जमी हुई झील के किनारे बने सफेद टेंट मे रात गुजारी थी
और वो पूरनमाशी की रात
जब तुम ले आये थे चम चम करते हैदराबादी कंगन
और फिर हम घूमते रहे चाँद के साये तले भोर तीन बजे तक
जब ट्रिन ट्रिन नही होती तो हम लिखते हैं एक दूसरे को चिट्ठियां
जिसमे miss you के अलावा कोई जुमला नही होता
हमारी टाइमिंग ग्राफिक और विसुअलाइज़शन इतने परफेक्ट पहुंचते हैं
जैसे कोई mirror image
सुनो !
ऐसे ही रहना हमेशा
कि देख कर ,मिल कर ,छू कर अक्सर सपने टूट जाते हैं

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