Wednesday 1 August 2012

तुम्हारे साथ ....:))

मै एक पूरा दिन गुजारना चाहती हूँ 
तुम्हारे साथ
मै सूरज की रौशनी में तुम्हे देखना चाहती हूँ 
मै देखना चाहती हूँ 
हमे शहर की सड़के एक साथ देख कर 
क्या कहती हैं 
मै उस पार्क की बेंच को चिढाना चाहती हूँ 
जो अकेले बैठने पर मुंह छुपा कर हंसती थी 
मै सड़क पर खड़े हो कर 
बारिश  में गरम  सिंके  भुट्टे  चखाना चाहती हूँ 
मैंने कई बार मुह्सुसा है तुम्हे बहुत पास 
अब  दुनिया  को तुम्हे दिखाना  चाहती हूँ 
चांदनी में कई बार भीगी  हूँ  तुम  संग  
आज तुम्हे दिन की रौशनी में नहलाना चाहती हूँ 

No comments:

Post a Comment