बड़ी आस थी
मिलन की
नदी की आँखों में
जाने कहाँ कहाँ से बहती आयी थी
आशाएं और सपने लाई थी
सागर को पहले पहल देखा होगा
तो सहमी होगी
धरा की कोख से निकली ,
धरा को भूलना होगा
जिन लहरों से डरती थी
उनकी ताल में झूमना होगा
साथ कई नदियाँ बहती थी
अलग अलग से रूप जिनके
कोई स्थूल कोई दुर्बल सी
कई मटमैली कोई निर्मल सी
सारा कुछ 'वार ' दिया
नदी ने
और पाया एक अलग सा सुख
अन्दर ही अन्दर सालता था
सफ़र ख़त्म होने का दुःख
उसे दुःख को सुख में बदलना आता था
सूरज की गेंद खेलती .छुपाती
लहरों पर चढ़ घूम आती थी
बहुत याद आये तो ...
धरा को चूम आती थी
मिलन की
नदी की आँखों में
जाने कहाँ कहाँ से बहती आयी थी
आशाएं और सपने लाई थी
सागर को पहले पहल देखा होगा
तो सहमी होगी
धरा की कोख से निकली ,
धरा को भूलना होगा
जिन लहरों से डरती थी
उनकी ताल में झूमना होगा
साथ कई नदियाँ बहती थी
अलग अलग से रूप जिनके
कोई स्थूल कोई दुर्बल सी
कई मटमैली कोई निर्मल सी
सारा कुछ 'वार ' दिया
नदी ने
और पाया एक अलग सा सुख
अन्दर ही अन्दर सालता था
सफ़र ख़त्म होने का दुःख
उसे दुःख को सुख में बदलना आता था
सूरज की गेंद खेलती .छुपाती
लहरों पर चढ़ घूम आती थी
बहुत याद आये तो ...
धरा को चूम आती थी